जब शराब छोड़ना चाहेंगे तब……

 

मद्य निषेध के पूरे कार्यक्रम के अंतर्गत आयुषवेद ने आपके लिये अत्यंत उत्तम, परीक्षित व प्रभावकारी तरीका अपनाया है। जो कि चरणबद्ध प्रक्रिया में होता है, पहले आप अपनी शारीरिक क्षमता में बढ़ोत्तरी के लिये औषधियां प्राप्त करते हैं जिससे कि आपके शरीर में वह ताकत पैदा होती है कि जब आप शराब छोड़ें तो उस कारण होने वाले दुष्प्रभाव आपके ऊपर कोई असर न डाल सकें व साथ ही साथ ये औषधियां आपके शरीर की शराब की मांग पर भी धीरेधीरे नियंत्रण करके उसे समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू करेंगी। इस बीच आपका भोजन कैसा हो यह आपको आयुषवेद बताएगा यानि कि आप कुछ भी खायें ऐसा नहीं होगा क्योंकि हो सकता है आपका भोजन आपके उपचार के अनुकूल न हो। इस पूरी प्रक्रिया की सबसे बड़ी बात यह है कि तीन महीने के इस चरणबद्ध उपचार काल में आयुषवेद के चिकित्सक निजी तौर पर आपसे सप्ताह में कम से कम दो बार फोन पर बात करके आपसे जुड़े रहेंगे क्योंकि आयुषवेद कोई व्यवसायिक उपक्रम नही है बल्कि आपसे भावनात्मक जुड़ा़व रखता है और जानता है कि यदि उपचार काल में चिकित्सक स्वयं निजी तौर पर आपसे संबद्ध रहे व आपके हालचाल के लिये चिंतित रहे तब ही उपचार कारगर होता है मात्र दवाओं के भरोसे पर पूर्ण लाभ संभव नहीं है। इस उपचार के चलते आप यह महसूस कर सकते हैं कि जो आत्मबल शराब के पीते रहने के कारण समाप्त हो चला था वह दुबारा जाग रहा है और आप परिवार और समाज के दायित्वों का निर्वाह, वैवाहिक संबंधों की जिम्मेदारी को सक्षमता से पूरा कर पा रहे हैं। इस कार्यक्रम को सशुल्क रखा गया है लेकिन आप स्वयं पाएंगे कि यह शुल्क अत्यंत अल्प है आपके शराब द्वारा उठाए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिये। इस शुल्क में आपको सहज ही मिल रहा है औषधियों का महीने भर का पैकेट, आपका भोजन निर्देश पत्रक, चिकित्सक द्वारा निजी तौर पर स्वयं फोन से आपके साथ संपर्क बनाए रखना। आपको पता है कि मात्र डाक्टर से एकबार सलाह लेने की कंसल्टेशन फ़ीस ही वह आपसे दो से पांच सौ तक ले लेते हैं क्योंकि वे व्यवसायिक होते हैं उनके घर का सारा खर्च वह आपके पास से लेते हैं किंतु आयुषवेद दल के चिकित्सक सेवाभावी हैं आपसे लिया शुल्क उन गरीब आदिवासियों के लिये होता है जो कि जंगलों में भटक कर आपके उपचार के लिये औषधीय वनस्पतियां लाते हैं तथा आयुषवेद के निर्देशानुसार दवाएं कूटते, पीसते, छानते व पैक करके आपको भेजते हैं, इस प्रकार यह उन गरीब आदिवासियों के लिये एक जीविकोपार्जन का उद्यम हो जाता है जिससे कि उनका परिवार जीवन निर्वाह कर सके और साथ ही आयुषवेद उन्हें इस बात की प्रेरणा भी देता है कि उनका जीवन जंगलों के संरक्षण करने में है जंगलों को काटने के लिये नहीं। इस प्रक्रिया में आदिवासी जिस वनस्पति को लाते हैं उसके कई पौधों को उगाने के लिये बीज डालते हैं व उन पौधों की देखभाल करते हैं जिससे कि वनस्पतियों व जंगलों के लुप्त होने का खतरा समाप्त हो जाता है। इस अति अल्प शुल्क के बारे में आप फोन करके, sms करके या e-mail करके जान सकते हैं।

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